शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

मेरे नैना सावन भादों फिर भी मेरा मन प्यासा

सादर नमस्कार
आज एक और सावनी गीत सुनिए..
मेरे नैना सावन भादों
फिर भी मेरा मन प्यासा 
बात पुरानी है...
ऐ दिल दीवाने ...
बरसों बीत गए, हमको मिले बिछड़े
बिजुरी बनकर, गगन पे चमके
बीते समय की रेखा, मैंने तुमको देखा
तड़प तड़प के इस बिरहन को
आया चैन ज़रासा, फिर भी ...

पहले सुनिए लता जी के स्वर में




अब इसी गीत को सुनिए बांसुरी मे



सादर

2 टिप्‍पणियां:

  1. शास्त्रीय राग 'शिवरंजनी' में सृजित यह गीत मेरे हृदय के अत्यंत निकट है । आभार आपक । यदि इसे आपने किशोर कुमार के स्वर में भी दिया होता तो और भी अच्छा होता ।

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